Tuesday, 1 March 2016

स्मार्टफोन के बारे में झूठ हैं ये - Most Common Myths About Smartphones

स्मार्टफोन की बैटरी, कैमरा, प्रोसेसर और ऐप्स से जुडी झूठ और सच्चाई

 स्मार्टफोन के झूठ


  1.  प्रोसेसर डबल करने से ही फोन की परफॉर्मेंस डबल हो जाती है।  
  2. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बेहतर फोटोग्राफी। 
  3. स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए ​स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाना जरूरी है। 
  4. स्मार्टफोन में वायरस और मालवेयर आते हैं। 
  5. ऐप्स बंद करने से फोन की परफॉर्मेंस बढ़ जाएगी। 
  6.  लोकल चार्जर का इस्तेमाल करने से बैटरी फट जाती है।
  7. थर्ड पार्टी ऐप्स बैटरी लाइफ बढ़ाने में मदद करते हैं। 
  8. ब्लूटूथ या वाई-फाई के ऑन होने से फोन की बैटरी जल्दी डिस्चार्ज होती है। 
  9. मैगनेट के पास रखने से फोन का डाटा रिमूव हो जाएगा। 
  10. चार्जिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 


स्मार्टफोन की सच्चाई


  • आप फोन की चिप को सिंगल कोर से डुअल कोर कर देते हैं। फिर डुअल कोर से क्वाड कोर कर देते हैं। लेकिन फोन के बाकी रिसोर्सेस तो वही रहते हैं। ऐसे में इन सभी कोर को एक ही बैटरी और लिमिटेड मेमोरी से काम चलाना पड़ता है। ऐसे में सिर्फ प्रोसेसर को डबल करने से ही फोन की परफॉर्मेंस डबल नहीं होगी।
  • स्मार्टफोन का बेस्ट फीचर होता है इसका डिजिटल कैमरा। अगर आपको लगता है कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से इमेज क्वालिटी बेहतर होगी तो आप गलत सोच रहे हैं। ज्यादा मेगापिक्सल किसी इमेज को बड़ी शीट पर प्रिंट करने के लिए यूजफुल होता है। फोटो की इमेज क्वालिटी कैमरे की शटर स्पीड और अपर्चर पर निर्भर करती है, न कि मेगापिक्सल पर। 
  •  स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए हम सभी फोन में स्क्रीन प्रोटेक्टर/ स्क्रीन गार्ड लगाते हैं। लेकिन अब लगभग सभी स्मार्टफोन कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास और स्क्रीन प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं जो कि स्क्रीन को प्रोटेक्ट करने में केपेबल हैं। यानी स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाना जरूरी नहीं है। 
  •  टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप थर्ड पार्टी या अनऑथराइज्ड सोर्स से ऐप डाउनलोड करते हैं, तभी आपके फोन में मालवेयर आएगा। एंड्रॉइड डिवाइसेस की बात की जाए तो अगर आप Google प्ले स्टोर से ऐप्स डाउनलोड करते हैं तो आपके फोन में मालवेयर नहीं आ सकता। ठीक ऐसा ही आईफोन के साथ है। 
  •   ये सच नहीं है। रिसेंटली यूज्ड ऐप्स बैकग्राउंड में नहीं चल रहे होते हैं, बल्कि वो रैम में स्टोर होते हैं ताकि आप फिर से उनका इस्तेमाल करना चाहें तो तुरंत से उन पर जा सकें। इसलिए रिसेंटली यूज्ड ऐप्स को बंद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे आपके फोन की परफॉर्मेंस पर कोई नेगेटिव असर नहीं डालते। 
  • स्मार्टफोन बैटरी में ब्लास्ट होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें लोकल चार्जर का हाथ नहीं होता। जब तक चार्जर ठीक से काम कर रहा है, बैटरी को कोई नुकसान नहीं होगा, फिर चाहे चार्जर किसी भी कंपनी का हो। ऑरिजनल चार्जर भी अगर खराब हों तो स्मार्टफोन बैटरी खराब हो सकती है।
  •  सबसे बड़े मिथकों में से एक ये है कि बैटरी ऑप्टिमाइजिंग ऐप्स फोन की बैटरी लाइफ बढ़ाने में मदद करेंगे। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता। कई बैटरी ऐप्स तो बैटरी बैकअप के मामले में कोई भी मदद नहीं करते। कुछ एक जो मदद करते हैं, वो भी सिर्फ बैटरी मैनेजमेंट में हेल्प करते हैं। इनका काम बाकी ऐप्स का ध्यान रखना होता है, बैटरी बैकअप बढ़ाना नहीं।
  • अक्सर कहा जाता है कि अगर यूज नहीं कर रहे हैं तो ब्लूटूथ या वाई-फाई बंद कर देना चाहिए, इससे बैटरी खत्म होती है। लेकिन सच तो ये है कि बैटरी तभी खर्च होती है, जब ब्लूटूथ या वाई-फाई इस्तेमाल में आ रहे हों। सिर्फ ऑन रहने से बैटरी खर्च नहीं होती।  
  • फोन का डाटा SD कार्ड में स्टोर होता है। अगर आपको लगता है कि मैगनेट के पास रखने से डाटा रिमूव हो जाएगा तो ये सच नहीं है। मैगनेट आस-पास होने से स्मार्टफोन की स्टोरेज पर कोई असर नहीं पड़ता।
  • ये एक गलत धारणा है कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल चार्जिंग के दौरान करने से वो या तो बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है या फिर बर्स्ट हो जाता है। फोन अगर जरूरत से ज्यादा हीट हो रहा है तो इसमें फोन के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर की प्रॉब्लम हो सकती है। चार्जिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल करने से इतनी ज्यादा परेशानी नहीं होती है।


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